मां के दूध में ऐसी ताकत कि नवजातों ने भी चित्त कर दिया कोरोना

भोपाल । कोरोना वायरस इन दिनों बेहद संक्रामक होने के बाद भी उन चार नवजातों को नहीं छू पाया जिन्होंने कोरोना संक्रमित मां की गोद में रहकर मां का दूध पिया। गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में कोरोना की तीसरी लहर में पांच सीजर डिलीरी अभी तक हो चुकी है। जन्मे पांच बच्चों में से सिर्फ एक को ही कोरोना ने अपनी चपेट में लिया है। संक्रमित नवजात भी सात दिन की हो चुकी है और पूरी तरह से स्वस्थ्य है। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों को संक्रमण का खतरा कम रहता है। दूसरी बात यह है कि मां ने अपना दूध पिलाते समय कोरोना से बचाव का पूरा ध्यान रखा। इस कारण नवजात इस बीमारी से बचे रहे। डॉक्टरों के मुताबिक अभी तक जो पांच प्रसव हुए हैं, उनमें तीन प्रसुताओं की अस्पताल से छुट्टी भी कर दी गई है। मेडिकल कॉलेज का अस्पताल के जिलों से गर्भवती को प्रसव के लिए सुल्तानिया रेफर किया जाता है। यहां सभी गर्भवती की सबसे पहले कोरोना की जांच कराई जाती है। पाजिटिव आने पर प्रसूता को हमीदिया अस्पताल के कोविड ब्लॉक में भेजा जाता है। यहां पूरी सावाानी के साथ प्रसव कराते हैं। सीजर डिलीवरी में और विशेष सावधानी रखी जाती है, जिससे डॉक्टर, नर्स भी संक्रमित न होने पाएं। हमीदिया अस्पताल की शिशु रोग विभाग की विभागाध्यक्ष मंजूषा गोयल ने बताया कि बच्चों को मां का दूध मिले तो उसकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहती है। इस कारण भारत सरकार की गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि मां कुछ विशेष सावधानियां रखकर बच्चों को दूध पिला सकती हैं। सावधानियों में सबसे पहला यह कि मां को अपने हाथ साबुन से धोने के साथ ही अच्छी तरह से सेनिटाइज करना होगा। दूध पिलाते समय मां को मास्क लगाना है। अस्तपताल में स्तनपान करते समय नर्सों ने भी ध्यान रखा कि मां से कोई गलती तो नहीं हो रही है। उन्होंंने बताया कि जन्म से 48 धंटे के बाद नवजात का कोरोना टेस्ट कराया जाता है। इसके बाद अस्पताल से छुट्टी करने से पहले भी जांच कराई जाती है। नवजात को कोई लक्षण दिखें तो बीच में भी जांच करा सकते हैं।

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