खेल प्रशिक्षकों पड़ी कोरोना का मार, अब यह नेशनल शूटर पिस्टल बेचने को मजबूर

बरेली। कोरोना संकट के चलते हर सेक्टर में मंदी छाई हुई है, जिसके चलते बहुत से लोग बेरोजगार हो गए हैं। इतने ही नहीं बहुत से लोगो को खाने के लाले पड़े है। इतनी हा नहीं मंदी के कारण खेल और खेल से जुड़े लोग भी काफी संकट से जूझ रहे हैं। कोरोना ज्यदा असर खेल के क्षेत्र में प्रशिक्षकों पर पड़ है जो सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। कोरोना काल में  नेशनल शूटर से कोच बने देवव्रत की व्यथा सामने आई है। कोरोना के कारण देवव्रत की निजी शूटिंग अकादमी पीछले पांच महीने से बंद पड़ी है। ऐसे में अकादमी का किराया चुकाने के लिए उन्होंने अपनी पिस्टल बेचने का फैसला किया है।

देवव्रत 100 फुटा रोड पर राइजिंग स्टार के नाम से शूटिंग अकादमी चलाते हैं।

अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके खिलाड़ी पूरे देश में बरेली का नाम रोशन कर चुके हैं। लॉकडाउन से पहले तक स्थिति सामान्य थी।कोरोना के कारण  मार्च के बाद से अकादमी में ताला लगा है। कोरोना के कारण पिछले पांच महीने से खिलाड़ियों को प्रैक्टिस कराने का सिलसिला बन्द है। जिसके कारण देवव्रत की आय की इनकम बंद हो गई है और अकादमी का किराया 12,500 रुपये महीना है और 1500 रुपये माह बिजली का बिल इसके साथ अन्य मद के जाते हैं।

हालांकि मिली जानकारी के मुताबिक देवव्रत के मकान मालिक ने उनका पूरा सहयोग कर रहे है लेकिन पिछले पांच माह से किराया न दे पाने के कारण देवव्रत की हिम्मत अब टूटने लगी है। जिसके चलते वे अपना पिस्टल ही बेचने का फैसला कर डाला। पिस्टल के लिए ग्राहक खोजने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर यह सूचना डाली। यह पूरा मामला एक न्यूज एजेंसी को किसा ने फोन करके दी।  

अपने पिस्टल बेचने के फैसला पर नेशनल शूटर देवव्रत ने कहा कि यह बहुत ही कठिन निर्णय है। यह पिस्टल एक तरह उनका जीवन है। यही उनकी आजीविका का जरिया है। वो शायद दोबारा पिस्टल खरीद भी नहीं पाएंगे। मगर अब उनके पास और कोई रास्ता भी नहीं है। वह अपने मकान मालिक का भी शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने पांच महीने तक उनका सहयोग किया। देवव्रत ने 2001 से 2015 तक डिस्ट्रिक्ट और इंटर डिस्ट्रिक्ट शूटिंग कॉम्पटीशन में लगातार मेडल जीते।

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