कामगारों को बुलाने में एक-एक टिकट पर 5 से 7 हजार खर्च कर रहीं कंपनियां

गोरखपुर। पूर्वांचल के कामगारों की मुंबई, पुणे, सूरत और अहमदाबाद वापसी मुश्किल हो गई है। रक्षाबंधन के बाद मुंबई जाने वाली स्पेशल ट्रेनों में भीड़ बढ़ गई है। अगस्त तक किसी भी ट्रेन में जगह नहीं है। टू एस (जनरल) में नो रूम है। स्लीपर (शयनयान) और वातानुकूलित श्रेणियों में के लिए मारामारी है।
यह तब है जब वे‍टिंग टिकट पर यात्रा की मनाही है। कंपनियां कामगारों को बुलाने के लिए प्रीमियम तत्काल कोटे से एक-एक टिकट पर पांच से सात हजार रुपये खर्च कर रही हैं। मुंबई व अन्य बड़े शहरों में बैठे जालसाज तत्काल कोटे के सारे टिकट बुक कर ले रहे हैं। लाइन में लगने के बाद भी काउंटरों से तत्काल कोटे का कंफर्म टिकट नहीं मिल पा रहा। गोरखपुर के काउंटरों पर मुश्किल से एक या दो टिकट ही कंफर्म बन पाता है। तत्काल कोटा में भी कंफर्म टिकट नहीं मिलने पर मुंबई में बैठे जालसाज वरिष्ठ नागरिक कोटे को भी नहीं छोड़ रहे। युवा कामगारों को, बुजुर्ग श्रेणी में टिकट बुक कराकर बुला रहे हैं। कुछ दिन पहले लखनऊ मंडल की टीम ने बस्ती में कुशीनगर एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में वरिष्ठ नागरिक कोटे में बने टिकट पर मुंबई की यात्रा कर रहे चार युवाओं को पकड़ा था। दरअसल, लॉकडाउन में कामगारों के वापस आ जाने के बाद अनलॉक में मुंबई, सूरत और पुणे की कंपनियों को कर्मचारियों की कमी से परेशानी हो रही है। वहां कंपनी मालिक कामगारों के लिए परेशान हैं, यहां कामगार वापसी के लिए बेचैन हैं।

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