क्षय रोग की रोकथाम एवं प्रसार को रोकने के लिए नवीन अनुसंधान जरूरी : डा.वेद प्रकाश

लखनऊ। क्षय रोग (टी0बी0) की बीमारी दुनिया भर में लोगों की मृत्यु का 13वां प्रमुख कारक है। कोविड के बाद यह दूसरे नम्बर का संक्रामक कारक बन गया है। यह संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर फेफड़े प्रभावित करता है।

अनुमानित रूप से दुनिया भर में एक करोड़ लोग वर्ष 2020 में टी0बी0 से संक्रमित हुए हैं जिसमें 11 लाख बच्चे सम्मिलित हैं। पूरे विश्व में टी0बी के सबसे ज्यादा मामले भारत देश में पाये जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में पूरे विश्व के लगभग एक चौथाई टी0बी0 के सक्रिय रोगी हैं। टी0बी0 के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टी0बी0 दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है “हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं”। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. वेद प्रकाश ने दी।

डा. वेद प्रकाश ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि टीबी जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम एवं प्रसार को रोकने के लिए नवीन अनुसंधान करके टी0बी0 के लिए नवीन दवाइयां एवं उपकरण तैयार करने होंगे। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में टी0बी0 से होने वाली कुल मृत्यु का 29 प्रतिशत हिस्सा भारत में होता है। मल्टीड्रग रेजिस्टेन्ट टी0बी0 एक बड़ा स्वास्थ्य संकट है, क्योंकि वर्ष 2020 में तीन ड्रग रेजिस्टेन्ट टी0बी0 मरीजों में से सिर्फ एक मरीज ने टी0बी0 का इलाज प्राप्त किया।

बीमारी को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत

डा. वेद प्रकाश ने बताया कि जिस तरह से पूरे विश्व में कोविड के प्रसार को समाप्त करने के लिए एक जुटता के साथ प्रयास किये गये हैं, उसी एक जुटता के साथ हमें टी0बी0 जैसी गम्भीर बीमारी के प्रसार को भी खत्म करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक टी0बी0 के प्रसार को 80 प्रतिशत एवं टी0बी0 से होने वाली मृत्यु को 90 प्रतिशत कम किया जा सके।

टी0बी0 रणनीति के स्तम्भ

पता लगाएं – टी0बी0 बीमारी की जल्दी पहचान करें।

उपचार – टी0बी0 बीमारी की जल्दी एवं सुगम इलाज।

रोकथाम – टी0बी0 की बीमारी के प्रसार की रोकथाम।

निर्माण – टी0बी0 के इलाज के संसाधनों का निमार्ण।

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