केंद्रीय बजट में आदिवासियों, ग्रामीणों को अंतिम छोर तक सुविधाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित: प्रधानमंत्री मोदी

 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय बजट 2023-24 में आदिवासियों और ग्रामीणों के इलाकों में अंतिम छोर तक सुविधाएं मुहैया कराने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने यह बात ‘रीचिंग द लास्ट माइल’ पर बजट के बाद के वेबिनार के संबोधन में कही। उन्होंने कहा कि पहली बार देश में बड़े पैमाने पर आदिवासी समाज की क्षमता को परखकर उपयोग किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा अंतिम मील तक पहुंचने का दृष्टिकोण और संतृप्ति की नीति एक-दूसरे के पूरक हैं। जब हमारा उद्देश्य सभी तक पहुंचना है, तो भेदभाव और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होगी। उन्होंने ने संसद में बजट पर बहस के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि हमारी सरकार बजट पर चर्चा को एक कदम आगे लेकर गई है। कुछ वर्षों से बजट बनाने से पहले और बाद में हितधारकों के साथ मंथन की नई परंपरा शुरू की गई है। यह कार्यान्वयन और समयबद्ध वितरण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह करदाताओं की पाई-पाई का समुचित उपयोग भी सुनिश्चित करता है।

उन्होंने कहा कि विकास के लिए धन के साथ-साथ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। जितना अधिक हम सुशासन पर जोर देंगे, उतनी ही आसानी से अंतिम मील तक पहुंचने का हमारा लक्ष्य पूरा हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने में सुशासन की शक्ति को दर्शाने के लिए मिशन इंद्रधनुष और कोरोना महामारी में टीकाकरण और वैक्सीन कवरेज में नए दृष्टिकोण का उदाहरण दिया। साथ ही संतृप्ति की नीति के पीछे की सोच पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतिम मील तक पहुंचने का दृष्टिकोण और संतृप्ति नीति एक-दूसरे के पूरक हैं। पहले बुनियादी सुविधाओं के लिए गरीब सरकार के पास चक्कर लगाता था। अब सरकार गरीबों के दरवाजे पर सुविधाएं दे रही है। उन्होंने कहा कि जिस दिन हम यह तय कर लेंगे कि हर क्षेत्र में हर नागरिक को हर बुनियादी सुविधा मुहैया कराई जाएगी, तब हम देखेंगे कि स्थानीय स्तर पर कार्य संस्कृति में कितना बड़ा बदलाव आएगा। संतृप्ति की नीति के पीछे यही भावना है।

प्रधानमंत्री ने पीएम स्वनिधि योजना का हवाला दिया। उन्होंने कहा स्ट्रीट वेंडर्स को औपचारिक रूप से बैंकिंग से जोड़ा गया है। डी-नोटिफाइड, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों के लिए विकास और कल्याण बोर्ड, गांवों में 5 लाख से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर्स और टेलीमेडिसीन के 10 करोड़ केसेस पूरे हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के बजट में आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों पर जोर दिया गया है। इसके लिए जल जीवन मिशन को हजारों करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 60 हजार से अधिक अमृत सरोवर पर काम शुरू हो चुका है। 30 हजार सरोवर बन भी चुके हैं। ये अभियान दूर-सुदूर रहने वाले उन भारतीयों के जीवन स्तर में सुधार कर रहे हैं, जो दशकों से ऐसी सुविधाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हमें यहीं रुकना नहीं है। हमें नए पानी के कनेक्शन और पानी की खपत के पैटर्न के लिए एक तंत्र बनाना होगा। हमें यह भी समीक्षा करनी होगी कि जल समिति को और मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने हितधारकों से मजबूत लेकिन किफायती घर बनाने के तरीकों को खोजने के लिए आवास को प्रौद्योगिकी से जोड़ने के तरीकों पर चर्चा करने, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्वीकार्य सौर ऊर्जा और समूह आवास मॉडल से लाभ उठाने के आसान तरीके खोजने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में गरीबों के लिए आवास के लिए 80 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बार देश आदिवासी समाज की विशाल क्षमता का इस पैमाने पर दोहन करने करने के लिए काम कर रहा है। इस बजट में भी आदिवासी विकास को प्रमुखता दी गई है। एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के कर्मचारियों के लिए मजबूत आवंटन का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने सभा को इन स्कूलों के शिक्षकों और छात्रों से प्रतिक्रिया देखने के लिए कहा और इन स्कूलों के छात्रों को बड़े शहरों का अनुभव कैसे प्राप्त हो सकता है। उन्होंने इन स्कूलों में और अधिक अटल टिंकरिंग लैब बनाने और स्टार्टअप्स से संबंधित पहलुओं के लिए कार्यशालाओं के तरीकों पर विचार-विमर्श करने को कहा।

उन्होंने ने कहा कि पहली बार आदिवासी समुदायों के सबसे वंचित लोगों के लिए एक विशेष मिशन शुरू किया जा रहा है। हमें देश के 200 से अधिक जिलों के 22 हजार से अधिक गांवों में अपने आदिवासी मित्रों को तेजी से सुविधाएं देनी हैं। प्रधानमंत्री ने इस संबंध में पश्मांदा मुसलमानों का भी जिक्र किया। इस बजट में सिकल सेल को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य भी रखा गया है। इसके लिए पूरे देश के दृष्टिकोण की जरूरत है। इसलिए स्वास्थ्य से जुड़े हर हितधारक को तेजी से काम करना होगा।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आकांक्षी जिला कार्यक्रम अंतिम मील तक पहुंचने के मामले में एक सफल मॉडल के रूप में उभरा है। इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए अब देश के 500 ब्लॉकों में आकांक्षी ब्लॉक (एस्पिरेशनल ब्लॉक) कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “एस्पिरेशनल ब्लॉक प्रोग्राम के लिए, हमें उसी तरह से तुलनात्मक मापदंडों को ध्यान में रखते हुए काम करना होगा जैसे हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स के लिए काम किया है। हमें ब्लॉक स्तर पर भी एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाना है।

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