कर्ज में डूबी दो नाबालिग बहनों की खुदकुशी के बाद जागे अफसर, परिवार को अब योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन

औरैया: बीते दिनों कंचौसी के ढिकियापुर डेरा में आर्थिक तंगी के चलते दो बहनों की मौत ने सरकारी तंत्र की पोल खोल दी है. लाचारी, गरीबी भले ही पूनम और सपना की मौत की वजह मानी जा रही हो, लेकिन इसमें कहीं न कहीं सरकारी सिस्टम भी काफी हद तक जिम्मेदार है. मामले को बढ़ता देखकर जिले के आलाधिकारी मृतक किशोरियों के घर पहुंचे और उनकी आर्थिक मदद करने के साथ-साथ उन्हें अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया.

दरअसल, ढिकियापुर डेरा की रहने वाली 17 वर्षीय सपना व उसकी 16 वर्षीय बहन पूनम ने आर्थिक तंगी के चलते ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी थी. साथ ही दोनों बहनों की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया था. पड़ोसी बताते है कि घर की हालात ठीक न होने और क्षय रोग से पीड़ित मां नीलम के इलाज के साथ-साथ 5 छोटे भाई-बहनों के खाने-पीने को लेकर दोनों काफी संघर्ष करके घर चला रही थीं.

सोमवार को आर्थिक तंगी से परेशान होकर दोनों बहनों ने मौत का दाम थाम लिया था. मंगलवार को डीएम प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव ने जिले के अन्य अधिकारियों के साथ मृतक के परिवारीजनों से मिलकर उन्हें 25 हजार रुपये की आर्थिक मदद की. साथ ही परिवारीजनों को अन्य योजनाओं का लाभ देने की भी बात कही.

इस मामले पर डीएम प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि दो बच्चियों की आकस्मिक मौत हुई थी. इसके बाद मैंने जिले के अधिकारियों को मृतक बेटियों के घर भेजा और उनकी मां को रेडक्रॉस सोसाइटी के जरिए 25 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी गई. वहीं, महिला के इलाज का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग ने लिया है. इसके साथ ही अन्य योजनाओं में भी अगर उनकी पात्रता बनती है तो वो भी उन्हें दिलवाई जाएंगी. इसके साथ ही इन लोगों को समय रहते आवास योजना व विधवा पेंशन न मिल पाने के मामले में जांच कर लापरवाही बरतने वाले कर्मचारी व अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कही है.

एक साथ दो बेटियों की मौत से लोगों के जहन में सरकारी सिस्टम को लेकर तमाम तरह के सवाल आ रहे हैं. वहीं, एक सवाल ये भी है कि आखिर 6 साल में 4 बार आवेदन करने के बाद भी गरीब परिवार को आवास योजना के तहत लाभ क्यों नहीं मिल सका ? ये भी बात सामने आई कि नीलम 2015 से टीवी की बीमारी से ग्रसित है. उसका इलाज आगरा के एक अस्पताल में चल रहा है. जबकि जनपद में कई वर्षों से सरकारी क्षय रोग का अस्पताल भी संचालित हो रहा है. विभाग की ओर से समय-समय पर मरीजों की टैगिंग के लिए डोर-टू-डोर सर्वे भी किया जाता है, लेकिन नीलम के क्षय रोग की बीमारी की स्वास्थ्य विभाग को भनक तक नहीं लगी.

नीलम के पति अशोक नाथ की मृत्यु के बाद परिवार पर आर्थिक संकट टूट पड़ा, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी आज तक नीलम को महिला कल्याण विभाग की ओर से निराश्रित महिला विधवा पेंशन का लाभ नहीं मिल सका. जबकि सरकार की इस योजना के लिए समय-समय पर विभागीय अधिकारी बैठक कर बड़े-बड़े दावे करते हैं.

 

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