नालागढ़ में सीबीआई की दबिश, तहसील कार्यालय से जुटाए दस्तावेज

हिमांचल प्रदेश। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कैडबरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भ्रष्टाचार और तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर धोखाधड़ी के मामले में जांच तेज करते हुए शनिवार को बीबीएन में दबिश दी। सीबीआई की टीम नें इस दौरान नालागढ़ तहसील कार्यालय का दौरा किया और वर्ष 2003 से वर्ष 2007 के बीच भूमि खरीद फरोख्त से सबंधित तमाम दस्तावेजों की पड़ताल की और कैडबरी (मोंडेलेज फूस प्राइवेट लिमिटेड) के जमीन से सबंधित दस्तावेज कब्जे में लिए। काबिलेजिक्र है कि इसी बर्ष मार्च में सीबीआई ने कैडबरी (अब मोंडेलेज फूड्स प्राइवेट लिमिटेड) के खिलाफ केस दर्ज किया था, कंपनी पर आरोप है कि उसने हिमाचल प्रदेश के बद्दी क्षेत्र में टैक्स के फायदे लेने के लिए गड़बडि़यां की हैं, सीबीआई ने इस कंपनी के पूर्व एग्जिक्यूटिव्स के साथ-साथ, कसंल्टें्टस समेत कई सरकारी अधिकारियों पर भी मुकदमा दर्ज किया है। एजेंसी ने उन तमाम अधिकारियों की भूमिका की पड़ताल कर रही है, जिनके कार्यकाल में कैडबरी को सबंधित अनुमतियां दी गईं। बता दें कि सीबीआई ने प्रारंभिक जांच की थी, जिसमें सामने आया कि कंपनी ने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में क्षेत्र आधारित कर लाभ लेने के लिए तथ्यों और दस्तावेजों को गलत तरीके से पेश किया तथा रिश्वत दी, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। कंपनी के अलावा एजेंसी ने कुल 12 व्यक्तियों पर मामला दर्ज किया है, जिनमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर विभाग के दो तत्कालीन अधिकारी, कैडबरी इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के तत्कालीन अधिकारी शामिल हैं। सीबीआई के अनुसार कैडबरी इंडिया लिमिटेड ने संडोली गांव में बोर्नवीटा बनाने के लिए मैन्युफेक्चरिंग यूनिट स्थापित की थी। इस यूनिट में 19 मई, 2005 से उत्पादन शुरू हुआ। दो साल बाद सीआईएल ने पांच स्टार और जेस बनाने के लिए दूसरी यूनिट बनाने का प्रस्ताव रखा और 2007 में बद्दी में जमीन अधिग्रहीत की। इसके जरिए उसने उत्पाद शुल्क और इनकम टैक्स में 10 साल की अतिरिक्त छूट ली। इसके बाद कंपनी ने पहले की ही यूनिट में दूसरी यूनिट जोड़ने का निर्णय लेने की बात कहते हुए आवेदन दिया। 15 महीने बाद कंपनी ने कहा कि उसकी दूसरी इकाई ने उत्पादन शुरू कर दिया है, जिसके लिए उसे टैक्स छूट का लाभ दिया जाना चाहिए, जो कि संभव नहीं था, क्योंकि कंपनी ने पहले ही कहा था कि वह पहले से मौजूद यूनिट में दूसरी यूनिट जोड़ने जा रहा है और पहली यूनिट को 2005 से टैक्स छूट का लाभ मिल रहा था। हालांकि कंपनी ने छूट प्राप्त करने की आखिरी तारीख से दो दिन पहले 29 मार्च, 2010 को एक अलग कंपनी कैडबरी इंडिया लिमिटेड यूनिट-2 के नाम पर दूसरी यूनिट लगाने की मांग की। इसके लिए कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कई लोगों के साथ मिलकर साजिश रची और टैक्स छूट में लाभ लेने के लिए एक अलग कंपनी के रूप में दूसरी यूनिट स्थापित करने के लिए जरूरी अप्रूवल लिए, जबकि वह यह लाभ पाने के योग्य नहीं थी।

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